मैंने एक चिड़ियाँ से पूछा ।

 मैंने एक चिड़ियाँ से पूछा 


bird






मैंने एक चिड़ियाँ से पूछा

क्यों नही आती मेरे घर में ।।

कुछ सोची फिर मुहं खोली

रो - रो कर  चिड़ियाँ बोली  ।।

 

   आऊँ भी तो कहाँ बैठूँ

      कोई पेड़ नहीं तेरे घर में ।।

      मन में उदासी है मेरे

      टूटा है मेरा हौसला ।।


इन्हें भी पढ़िये :-

कहाँ खेलेंगे बच्चे मेरे ।
कहाँ बनाऊँगी घोंसला ।।
बच्चों अपने  घर आँगन को ।
  हरा भरा बनाओ न।।
  उस पर  बैठूँगी मैं आकर।
  तुम एक पेड़ लगाओ न।।   
Thanks for reading     📝 
               Ashok Kumar   sssssssssssss 

ssssssssssssss
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता 
आपको कैसी लगी हमको कमेंट करके जरुर 
बताए और इस आर्टिकल को सोशल मीडिया
 पर शेयर करना  और फॉलो ना भूले 🙂 

अपना  बहमूल्य  समय  देने के धन्यवाद।  

1 टिप्पणी:

Blogger द्वारा संचालित.