माँ दिवस पे माँ को समर्पित - मेरी माँ
माँ तुम से ही तो।
सारी दुनिया आवाद हुई।।
माँ तुम से ही तो।
सारी रिश्ते की शुरुआत हुई ।
माँ बचपन का पैर है ।
तू बचपन का खेल है।।
दुनिया के इस मानव वन में।
तू रिश्ते की बेल है ।।
इन्हें भी पढ़िये :
संसार में ऐसा कोई नहीं ।
जो माँ की गोद में न खेला हो
रोते - रोते, रोते कभी।
माँ के गोद में न सोया हो।।
कष्ट हो शरीर को कोई।
मुख पे तेरा नाम आता है ।।
माँ को पुकार के ।
कष्ट में सब सुख पाता है ।।
जरा सी खरोंच देख कर ।
तू ऐसे चीखती है माँ ।।
जैसे दिखे बच्चा उसके लिए।
तू छाती पीटती है ।
माँ तू जागती रहती है।
बच्चे के सोने तक।।
तू प्यार भी करती है माँ ।
अपनी आँखे बंद होने तक।।
माँ तू अपनी नींद देकर।
बच्चा को सुलाती है।।
खुद भूखी रहकर खाना ।
अपने बच्चा को खिलाती है ।।
माँ तेरी डाँट डपट को।
यहां सबने ही झेला है।।
इन्सान तो, क्या तेरी गोद में।
आके भगवान ने भी खेला है ।।
इन्हें भी पढ़िये :-
- क्यों नहीं आती मेरे घर
- दिल करता है मेरा मैं
- माँ तू भगवान के हाथों की
- लकड़ी चोर मुर्दा
- आज वर्षो बाद फिर ।शहर में दंगा भरका है ।
जब से संसार बना है।
यहाँ सबकी कहानी यही है।।
इस संसार में माँ के बिना ।
कोई भी प्राणी नहीं है।।
माँ जिस दिन तेरे पैर छूलूँ।
दिन अच्छा निकलता है
जिस दिन रुठा तुम से ।
दिन ऐसे गुजरता है ,
मेरा मुझसे कुछ खो गया ।।
मुझे ऐसा लगता है।।
क्या मैं व्रत रखूँ कोई।
क्या मिलेगा मुझे उपवास में।।
हमने खूब सेवा की ।
माँ को रखा अपने साथ में ।।
माँ को रखा अपने साथ में ।।
रेडियो पर मैंने सुना की ,
आज माँ दिवस है ,
अगर आज माँ का दिवस है
तो माँ के बिना भी कोई दिवस है
तू लिख दे अशोक की
माँ के ही तो 365 दिवस है
माँ दिवस पे....माँ को समर्पित.
Thanks
for reading.📝
Ashok Kumar
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