निकला था कहीं जाने को ।
उस दिन जाने क्या पाप किया ।।
जेब कतरे ने मेरे पर्स पर ।
अपना हाथ साफ किया ।।
मुझे बस के कन्डेक्टर ने ।।
बोला किराया लाअो ।।
नहीं है पैसा पास तो ।
तुम बस से उतर जाओ ।।
एक मोटर साइकिल वालेे से ।
मैंने कह कर लिफ्ट लिया ।।
कुछ दूर आगे जाकर ही ।
बाइक का चैन टूट गया ।।
साइकिल वाले को कहा बैठा लो ।
साइकिल पर बैठ के खुश हुआ ।।
दस कदम चल के ही वो भी ।
साइकिल का टायर फुश हुआ ।।
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Ashok Kumar
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