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Thursday, October 18, 2018

हास्य व्यंग्य।। डॉक्टर कैसा -कैसा ।।


Department of skin

      जो घटा मैं बक रहा हूँ ,
      आपके सामने रख रहा हूँ।

   E S I होस्पिटल से अपना चमड़ा का
    इलाज करवा रहा था ।।
    वहीं से दिखला कर
    दवाई खा रहा था ।।
           डॉक्टर हर 15 दिन के बाद
          मुझे बुला रहा था  ।।
   
      डॉक्टर  मेरे साथ 
      दवाई से खेल रहा था  ।।
      मैं डॉक्टर को 
      6 महीने से झेल रहा था  ।।
   
       डॉक्टर दवाई पे दवाई दे रहा था
       लगा किसी जन्म का बदला ले रहा था ।।

    चमड़ा ठीक होने पर
    मैंने डॉक्टर से कहा  ।।
    डॉक्टर साहब मेरा बीमारी तो ।।
    जैसे था वैसा ही पड़ा है
    जहाँ था वहीं खड़ा है ।।

     डॉक्टर डर गया
     चिंता में पड़ गया।।

         बहुत देर तक सहा।।
        मैंने डॉक्टर से कहा

     मुझे दवाई खाने का
     अब और सजा दो ।।
     मेरा चमड़ा कैसे ठीक होगा 
     मुझे बता दो ।।

         डॉक्टर भी मुँह खोला।
         तपाक से बोला ।।
         ये चमड़ा उतरवा लो
         दूसरा चमड़ा चढ़वा लो ।।

     मैं डॉक्टर से भी बड़ा हो गया।
     बैठा था मैं खड़ा हो गया ।।

   मैंने कहा कैसे डॉक्टर आप हैं ।।
   मेरा शरीर का चमड़ा है या
   रेजाई का गिलाफ है ।।

          जब गंदा हुआ
         उतार कर वॉशिंग मशीन में डालो।
          और दूसरा गिलाफ चढ़ा लो

    मैंने अपना बात मोड़ दिया
    मुझे लगा डाक्टर धुँआ छोड़ दिया ।।
   
            मैंने सोचा
           यही मौका है अशोक ।।         
           खुद को बचा
           ये डाक्टर से पीछा छुड़ा लो    

          चिकित्सा  दिवस को समर्पित
       
Thanks for reading 📝
                       Ashok Kumar


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