कविता ।। माँ मुझे बड़ा नहीं होना ।।

 baby with mother



   माँ मुझे बड़ा नहीं होना है
   मुझे छोटा ही रहने दो  ।।
   सुन कर तेरी मिठी लोहरी
   मुझे अपने गोद में सोने दो ।।
     
       रोज सुवह-सुवह तू उठके
       मुझे आवाज लगाती हो ।।
       मैं छुपता हूँ इधर -उधर 
       मुझे पकड़ के तुम नहाती हो    

   माँ मुझे बड़ा नहीं होना 
   मुझे छोटा ही रहने दो  ।।
   सुन कर तेरी मिठी लोहरी
   मुझे अपने गोद में सोने दो ।।
     
        बड़ा होके बस्तू के लिए
        अपनो से लड़ना झगरना ।।
        मुझे अच्छा लगता  है माँ 
        तेर गोद में चड़ना उतड़ना ।।

   माँ मुझे बड़ा नहीं होना 
   मुझे छोटा ही रहने दो  ।।
   सुन कर तेरी मिठी लोहरी
   मुझे अपने गोद में सोने दो ।।
     
         अच्छा लगता है माँ तुमसे
         जिद्द कर के  रोने का ।।
         आता है मजा तेरे कंधे पर
         सर रख कर सोने का ।।

   माँ मुझे बड़ा नहीं होना 
   मुझे छोटा ही रहने दो  ।।
   तेरी सुन कर मिठी  लोहरी
   मुझे अपने गोद में सोने दो ।।
     
        खेलू  कुदूं तेरे आस-पास
        मैं तो नही थक पाता हूँ  ।।
        कहीं जाना हो तो मैं तरे
        गोद में चड़ के जाता हुँ  ।।

   माँ मुझे बड़ा नहीं होना 
   मुझे छोटा ही रहने दो  ।। 
   सुन कर तेरी मिठी लोहरी
   मुझे अपने गोद में सोने दो ।।
     
        गाल खिचके कान पकड़ के
        अगर मुझे कोई रुलाती है  ।।
        वहला फुस्ला के गोद उठाके
        तु  मुझे  चुप  कराती  है ।।

   माँ मुझे बड़ा नहीं होना 
   मुझे छोटा ही रहने दो  ।। 
    सुन कर तेरी मिठीलोहरी
   मुझे अपने गोद में सोने दो ।।.             
   मुझे अपने गोद में सोने दो ।।

   Thanks for reading  📝
                            Ashok Kumar

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