मम्मी मम्मी मम्मी जी,
मैं भी हवा में खेलूँगी।
अगर मिली तितली मुझे,
मैं पर उसकी ले लूँगी ।
बड़ा मजा आएगा हमें ,
हवा में पर फैलाने का ।
जी चाहे जहाँ , उड़ गए वहाँ,
आएगा मजा कही भी जाने का।
इस फूल से उस फूल पर,
क्यारी क्यारी मैं खेैंलूँगी।
भुख लगी तो वहीं बाग में,
फूलों का रस पी लूँगी।
कभी यहाँ तो कभी वहाँ,
कभी दुर बहुत उड़ जाऊँगी।
शाम से पहले मम्मी जी,
मैं घर वापस आजाउऊँगी।
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Ashok Kumar ✍
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