।। ऐसे हैं मेरे देश के जवान ।।
ऐ
मेरे वतन के
लोगों,
हम सब है हिन्दुस्तानी।
आज याद उन्हें भी करलो,
आज शुभ दिन है आई।
जिसनें दिये
जान सीमा पर,
लड़ी हम सब के लिए लड़ाई।
ऐ मेरे वतन के लोगों
आज,
उन सब की याद है
आई।
जिसनें दिये जान सीमा पर,
लड़ी हम
सब के लिए लड़ाई।
जिस दिन चलता था गोली,
उस दिन होता था
दिवाली।
जिस दिन वहता लहू उसका,
उस दिन होता था होली ।
दुश्मन ने एक को मारा,
वो दस दुश्मन
को मारे।
चलता रहा गोलीबारी फिर,
फिर गिर गया गोली खाके।
धरती पर घसीटे तन
को,
फिर भी नहीं छोड़ा गन को।
तब
अपने हाथ उठा के,
दोस्तों को
कहा बुला के।
मुझे और अभी
लड़ना है,
ले चलो यहां से उठा
के।
जख्म था इतना गहरा-गहरा,
फिर भी नहीं बंदूक छोरा।
जब अपने जख्म दिखलाया,
जल्दी में उन्हें पानी पिलाया।
जख्मों से
गोली निकाला,
उसमें तब मिट्टी डाला।
खरा होके
कहा चलना है,
मुझे और
अभी लड़ना है।
वो लड़ते रहे घंटों जाके,
कई
दुश्मन को भी गिरा के।
तब
कांधे पर गोली खाके,
लथपथ था खूं में नहा के।
छाती से बंदूक लगा के,
तब गिरा धरती पर जाके।
अंत
समय आया तो कहा,
जिसके लिए लड़ते है लदो।
एक हाथ में वतन की मिट्टी,
दूसरे में तिरंगा पकड़ा दो।
दूसरे में तिरंगा पकड़ा दो।
जय हिंद
जय हिंद
जय हिंद की सेना
जय हिंद
Thanks for reading 📝
Ashok Kumar✍
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता
आपको कैसी लगी हमको कमेंट करके जरुर
बताए और इस आर्टिकल को सोशल मीडिया
पर शेयर करना ना भूले 🙂
अपना बहमूल्य समय लिए देने के धन्यवाद।
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