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Thursday, June 14, 2018

नोट बंदी मुझे याद है -हास्य व्यंग्य

 

   

         





नोट बंदी चल रहा था

मैं बाजार मे दुकान के आगे खड़ा था।।

       एक भिखारी आया   ।।
       मेरे आगे हाथ फैलाया  ।।
मैं अपनी जेब में हाथ डाला
लाल  सा  नोट  निकाला ।।
       नोटबंदी के खुशी में बिना देखे।  
       दो हजार का नोट भिखरी को दे डाला ।।

बाद में मुझे पता चला मैंने ये क्या किया  
भिखारी को दो हजार का नया नोट दे दिया ।।

        मैं भिखरी से माँगने लगा
        भिखरी मेरे से झगड़ने लगा ।। 
मैनें कहा झोली से निकाल कर देखो 
वो दो हजार का नया नोट है दे दो  ।।

       मुझे तो इन्तेजार यही था 
       वो नोट वापस देने को तैयार नहीं था ।।

मैंने कहा ये पिंक है 
वो नोट लाल है  ।।
     भिखारी बोला ये भी लाल है वो भी लाल है
     बाबू जी ये तो भीख वापस लेने का चाल है  ।।

दो हजार वापस लेने का आस टल गया
बात काफी बढ़ गया  ।।
        सच मे मैं रो गया
        भिखरी का किस्मत जाग मेरा सो गया ।।

भिखरी का ध्यान मेरे पे आने लगा 
मेरे उपर तरस खाने लगा ।।
       भिखरी ने दायाँ हाथ से
       वायाँ हाथ में पकड़ा  ।।
       डिब्बा भीख मागनें वाला  ।।

और अपना दायाँ हाथ 
अपने जेब मे डाला  ।।

       भिखारी दो हजार का नोट निकाला 
       मेरे हाथ की मुठ्ठी में देे डाल ।।.

भिखारी बोला बाबू जी 
 सभी लोग इधर ताक रहा है  ।।
लोग बोलेगा देखो देखो
भिखारी से भीख माँग रहा है  ।।


       मैंने मुठ्ठी से अपने जेब में डाल लिया 
       और मैं अपने घर चल दिया  ।।
घर जाके देखा तो वो पुरान नोट था 
भिखारी ने मुझे ठग लिया  ।।      

        भिखारी नेअपना पुराना नोट 
       मेरे नए नोट से बदल लिया  ।।
                नए नोट से बदललिया 
Thanks for reading        📝
                                 Ashok Kumar   

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