।। गौरैया चली गई ।।.
क्या गौरैेया चली गई ।
हम सब का घर छोड़ के ।।
पंखे पे घोंसला बनाती थी ।
जब तिनका -तिनका जोड़ के ।
बरामदे में गिरा घोंसला को ।
हमने उठाके जब फेंका था ।
अब तो याद नहीं की आखरी ।
बार कब उसको देखा था ।।
नाना जी कहते थे गौरैया तो ।
सारे मौसम का मिटर था ।।
गौरैया पंछी पंछी नही है ।
पर्यावरण का थरमामिटर था।।
बारिश से पहले जब वो हमें ।
मिट्टी में नहाते दिख जाती थी ।।
मानसून काआने की खबर ।
हमें उनसे ही मिल जाती थी ।।
क्या गौरैया चली गई ।।
गौरैया दिवस को समर्पित
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Ashok
kumar
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