मैं जल हूँ जग से बोल रहा हूँ ।
मैं सबसे दूर हो जाऊँगा ।।
अगर बढाया तापमान ।
मैं भाप बन के उड़ जाऊँगा।।
न भाप बन गगन मैं उड़ूँ ।
न बर्फ में जमे रहने का ।।
नदी में मैं बहता रहूँ ।
तालाब में खड़े रहने का ।।
कहीं पर किया है मझे गंदा ।
कहीं बेकार बहा रहा है ।।
सूरज भी जलाता है मुझको ।
गरम हवा भी पीये जा रहा है ।।
जल के लिए बेचैन पशु ।
ये तपते हुए जेठ महीने में ।।
जल के लिए कितने ही छेद ।
किया है धरती के सिने में ।।
मैं जल हूँ जग से बोल रहा हूँ ।
मैं सबसे दूर हो जाऊँगा ।।
अगर बढाया तापमान
।।
मैं भाप बन के उड़ जाऊँगा।।
मैं भाप बनके उड़ जाऊँगा।।
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Save water save life
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