हास्य व्यंग्य ।। लकड़ी चोर मुर्दा ।।

 
   












हास्य व्यंग्य
   ।। लकड़ी चोर मुर्दा  ।।


एक मुर्दा समशान घाट से
लकड़ी चुराके भाग रहा था ।।
पकड़ा गया
क्योंकि  चौकीदार जाग रहा था।।
      ये बात बदबू के जैसे
      दूर-दूर तक फैल जाने लगा ।।
      लकड़ी चोर मुर्दा को देखने
      जिन्दा लोग आने लगा ।।

चौकीदार मुर्दा से पूछा
और कितने तुम्हारे साथ है ।।
मुर्दा बोला इसमें बस
अपून का ही हाथ है ।।

     मुर्दा गुस्सा में बोलने लगा
     अपना मुँ खोलने लगा सही ।।
     मैं मुर्दा हूँ मुर्दा
     देश का जिन्दा नेता नहीं।।
     सारे मिल के चोरी करता है।
     विदेश में पैसा जमा करता है ।।

मुर्दे में खौफ घबराहट था
वहाँ खड़े जिन्दा लोगों से ज्यादा ।।
मुर्दे में साहस था

     तभी पुलिस वाला आया
     कहाँ है कहाँ है ।।
     देखते ही पुछा
     तू कौन है ?
     चोर बोला मुर्दा ।।

ये सुनते ही पुलिस वाला डर गया
उसका माथा पसिने से भर गया ।।
माथे से बार-बार पसिना पोछने लगा
अपने रुमाल को निचोड़ने लगा ।।

     पुलिस वाला बोला
      हाथ दे अपना ।।
     पुलिस वाला दोबारा बोला
      हाथ दे अपना  ।।

    पुलिस मुर्दे के हाथ में
हथकड़ी डालते ही डर गया ।।
क्योंकि
हथकड़ी जमीन पर गिर गया ।।
मुर्दा बोला ।।
पुलिस तू मुझे हथकड़ी
नहीं डाल पाएगा कह देता हूँ ।।
दे हथकड़ी मैं हाथ में पकड़ लेता हूँ
     फिर गाड़ी पर बैठाया ।।
      पुलिस स्टेशन ले जाकर
      पुलिस वाला 
      लकड़ी चोर मुर्दे से पूछा
      ये काम कबसे चल रहा है

 
मुर्दा बोला जबसे
 सिलंडर का रेट बढ़ रहा है ।।
  तुम ये काम छोड़ दो
  नहीं तो बहुत मारूँगा ।।
  तू मरे हुए को मारेगा
  मुर्दा बोला हाँ मैं

        समशान घाट से लकड़ी
        चोरी करता हूँ ।।
        पुलिस वालो के जैसे
        हफ़्ता महीना नहीं
        लोगों से वसूलता हूँ ।।
  मुर्दे के बात पर
  पुलिस वाला गुस्से से जलने लगा
  कुर्सी पर बैठे बैठ उबलने लगा ।।
  पूछतास  जारी है 
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                      Ashok kumar
   
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 करना    भूले। 

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