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Friday, August 3, 2018

कविता ।। मॉनसून का शरारत ।।











  
  मॉनसून आया हरबर में  ।।
   बादल छाया पल भर में  ।।
   बारिश हुआ झमा झम 
   पानी घुस गया घर-घर में ।।
    
      पानी के ऊपर चारपाई 
     मेढक  उसपर  बोल रहा है  ।।
      खाना छ्त पर बनता है 
      रसोई में बर्तन तैर रहा है ।।

   
डूबते -डूबते बचा पर
   हाथ पैर मारना सिख लिया  ।।
   इस साल अपने आंगन में
   मैंने तैरना सीख लिया  ।।
   
      मॉनसून आया हरबर में 
      बादल छाया पल भर में  ।।
      बारिश हुआ झमा झम 
      पानी घुस गया घर घर में ।।

    Thanks for reading 📝
                         Ashok Kumar

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 करना    भूले। 

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