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Sunday, August 5, 2018

हास्य व्यंग्य ।। विकास का रफतार ने ।।

     


   









हास्य व्यंग्य
       ।।  विकास का रफतार ने ।।

 
क्या कहे अपने देश  के 
 शहर के ऐसे विकास को ।।
 जिसने रोक दिया शहर के
 वर्षा पानी के निकास को  ।।
       
        मुझे लगा अब घर-घर में 
        माँ  गंगा गए हैं ।।
        आस पास के लोग नहाके
        मेरे घर से जा रहे हैं ।।

 
कोई जगह बचा नहीं
 प्रदर्शन, धरने ,के लिए ।।
 नेता का बेटा आया मेरे घर
 मछली पकड़ने के लिए ।।
       
        देख के आस-पास के
        लोग बहुत हँसा है ।।
        मेरे अँगन में वो भी 
        डूबते- डूबते बचा है ।।
        डूबते- डूबते बचा है ।।

Thanks for reading 📝
                      Ashok Kumar

मेरी बात से सहमत  हो  तो
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 करना    भूले। 

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