हास्य व्यंग्य
।। विकास का रफतार ने ।।
क्या कहे अपने देश के ।
शहर के ऐसे विकास को ।।
जिसने रोक दिया शहर के ।
वर्षा पानी के निकास को ।।
मुझे लगा अब घर-घर में ।
माँ गंगा आ गए हैं ।।
आस पास के लोग नहाके ।
मेरे घर से जा रहे हैं ।।
कोई जगह बचा नहीं ।
प्रदर्शन, धरने ,के लिए ।।
नेता का बेटा आया मेरे घर ।
मछली पकड़ने के लिए ।।
देख के आस-पास के ।
लोग बहुत हँसा है ।।
मेरे अँगन में वो भी ।
डूबते- डूबते बचा है ।।
डूबते- डूबते बचा है ।।
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Ashok Kumar
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