मैं गंगा हूँ तुमको ।
यहाँ नहीं रहना है ।।
ब्रह्मा ने कहा मुझे ।
तुम्हें धरती पर बहना है ।।
आज मेरा जल देख के ।
ब्रह्मा भी कुपित हुआ है ।।
मानवता मुझे माँ कहके ।
मेरे जल को दूषित किया है
आके धरती पर अपने ।
इस हाल पर मैं न रोती ।।
अच्छा होता ब्रह्मा के ।
कमंडल में अब तक होती ।।
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मैं गंगा हूँ मुझको ।
यहाँ नहीं रहना है ।।
नहीं बहना धरती पर ।
नहीं खुद पर अब रोना है ।।
नहीं खुद पर अब रोना है ।।
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Ashok kumar
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