।। माँ गंगा का दर्द सुनो ।।














 मैं गंगा हूँ तुमको 
  यहाँ नहीं रहना है ।।
  ब्रह्मा ने कहा मुझे
  तुम्हें धरती पर बहना है ।।
     
         आज मेरा जल देख के
         ब्रह्मा भी कुपित हुआ है ।।
         मानवता  मुझे माँ कहके 
         मेरे जल को दूषित किया है 
     
     आके धरती पर अपने 
     इस हाल पर मैं रोती ।।
     अच्छा होता ब्रह्मा के 
     कमंडल में अब तक होती ।।
br />         मैं गंगा हूँ मुझको
       यहाँ नहीं रहना है ।।
       नहीं बहना धरती पर
       नहीं खुद पर अब रोना है ।।
       नहीं खुद पर अब रोना है ।।

Thanks for reading      📝
                     Ashok kumar

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.