Part 2
मैं उतरा अपनी गली के मोर पे ।
सभी लोग मुझे देखने लगे ।।
अपना काम छोड़ के ।
मेरे पूरे शरीर पर ।
लगा हुआ था टिंचर ।।
मैं चल रहा था ऐसे ।
जैसे मेरा एक टैर हो पंचर ।।
मुझे देख कर किसी को दुख ।
किसी को खुशी हो गया ।।
मेरे पीछे गली में
काना फुशी शुरू हो गया ।।
है कौन कहाँ से आ रहा है ।।
ऐसा लगता है ।
हस्पताल से भाग रहा है ।।
गेट खट-खटाने को हाथ बढ़ाऊँ ।
कि इस हाल में कौन पहचानेगा
ये सोच के हाथ हटा जाऊँ ।।
कहीं यहाँ भी न , मार खा जाऊँ ।
खुद से लड़के, हिम्मत कर के ।।
गेट खट खटाया अपने घर के ।
आया भाई देखा मुझको ।
वापस चला गया, सर पकड़ के ।।
वापस जाके माँ को बताया ।।
माँ दौड़ी आई कीचन से ।
उनका हाथ सना था बेसन से ।।
मुझे देखते ही पहचान गई ।
जब मेरा इमेजिनेशन टकराया।।
ममता के भैवरेशन से ।
बोली ये बेटा मेरा है ।
जरुर किसी लड़की को छेड़ा है ।।
माँ ने फिर भाई को बुलाया ।
हाथ हटा तू अपने सर से ।।
पानी लेआ बाल्टी भरके ।।
मेरे ऊपर पानी डलबाया ।।
पानी डालते ही ।
मेरा सारा जख्म धूल गया ।।
मैं सच कह रहा हूँ तबसे ।
लड़की को छेड़ना भूल गया
लड़की को छेड़ना भूल गया
जय हिन्द 🇮🇳
Thanks for reading. 📝
Ashok Kumar
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