हास्य व्यंग्य ।। मैं भी नेता बन जाऊँ ।।
















            हास्य व्यंग्य
     ।।  मैं भी नेता बन जाऊँ ।।


     
एक बार दिल में आया 
     मैं भी नेता बन जाऊँ ।।
      मेरा यार दोस्त
      अच्छा,
      हाँ यार हाँ,

मेरे यार दोस्त कहने लगे
अपना दोस्त नेता बनेंगे ।।
अब हम सब सारे शहर में
दुष्कर्म, मर्डर खूब करेंगे।।
      
      अपना एक टाँग बाहर 
      एक टाँग जेल में होगा ।।
      पुलिस वाला भी सब 
      अब अपने जेब में होगा ।।
 फिर,

मैंने नेता का वर्दी बनवाया
 उसमें गुण्डा गर्दी मिलाया ।।
 फिर हर अखबार में।
 मेरा नाम जाने लगा ।।
 टीवी में  न्यूज चैनल पर
 मेरा इन्टरव्यू आने लगा ।।
     
      मैं घर में बैठ कर टीवी पर
     अपना इन्टरव्यू देखने लगा ।।
      राजनीति का रोटी सेकने लगा
      मैं जहाँ भी जिधर से जाता ।।
      उधर ट्रैफिक जाम होने लगा
      रोज ही जुलूस और जलसा ।।
      मेरा चर्चा आम होने लगा

   
मेरा इस्टेन्डर लेवल
   इस कदर बढ़ रहा है।।
   पहले मेरा बेटा स्वदेश में
   उठाने टपकाने का काम करता था ।।
   और अभी विदेश में
   इंजीनियरिंग  कर रहा है
   
        एयर पोर्ट पर 
       मेरा पुराना दोस्त मिला गया ।।
       उसे देख कर मेरा दिल खिला
       उसका दिल जल गया  ।।
       मुझे बोला जब से नेता बना है
       यार तू कितना बदल गया ।।
       मैंने कहा हाँ

   
छठी .बार विदेश का ।।
   दौड़ा करके रहा हूँ
   देखो कैसे देश को ।।
   लूट के खा रहा हूँ 
   लूट के खा रहा हूँ 
   लूट के खा रहा हूँ ।।
    Thanks for reading  📝
                      Ashok Kumar
            

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