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Monday, September 10, 2018

मजा आया ।। इस बार के सावन में ।।















 बहुत मजा आया था हमको 
  इस बार बरसते सावन में ।।
 
सब हँस रहा था गिरा जब मैं।
  फिसल के किसी के आँगन में।।

     हुआ सर से पाँव तक गिला
     
कीचड़-कीचड़ किया सावन ने ।।
     साफ सुथरा से मुझे फटिचर
     बना दिया इस बादल ने ।।

माँ के आगे खड़ा रहा
माँ भी बदल गई सावन में ।।
ठेल के बाहर किया बोली।
कौन  घुस आया आँगन में ।।

   बहुत मजा आया था हमको
   
इस बार बरसते सावन में ।।
   सब हँस रहा था गिरा जब मैं
   फिसल के किसी के आँगन में।।  

  Thanks for reading 📝    
                        Ashok Kumar                

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