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आज कल कैसा- कैसा ।।
फिल्मो में गीत आ रहा है ।।
न जाने संगीत गीत को ।
कहाँ लेके जा रहा है ।।
अभी तो एक ही आदमी ।
सारा वाद्यय बजा लेता है ।।
जिसका आवाज चाहिए ।
गाने में' वहाँ घुसा देता है ।।
पहले गीत बनता था ।
कान से सुनने के लिए ।।
आज कल गीत बनता है ।।
शरीर को धुनने के लिए।।
पहले के गीत को हम
अवर ग्रीन कहते हैं।।
और आज कल के गीत को ।'
चलेगा कुछ दिन कहते हैं।।
आज कल के गीत में खुद को ।
जिन्दा रहने का जान कहाँ होता है ।।
वो तो F M चैनल बजा कर ।
कुछ दिन का अक्सिजन दे देता है ।।
एक दिन अच्छे गीत के लिए ।
चयन टीम बनाना पड़ेगा ।।
और खराब गीत के लिए ।
डस्ट बिन बनाना पड़ेगा ।।
किसी में है थोड़ा तो ।
और, किसी में ज्यादा है ।।
इन्टरटेनमेंन्ट कम है ।
हराश्मेंन्ट ज्यादा है ।।
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Ashok Kumar✍
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