Breaking

Wednesday, October 10, 2018

कवित ।। उदास चिरैंयाँ चली गई ।।







     



कविता
     ।। उदास चिरैंयाँ चली गई ।।


   
एक चिड़िया कुछ दिन के बाद,
    मेरे  घर  में जब गई।
   पुछी जिस पर  बैठी करती थी,
   आँगन का वो पेड़ कहाँ गई।
        अपने घर के सभी बडों ने,
        मझे बहुत ही डॉटा है।
        जिस पर तुम बैठी करती थी ,
        उस पेड़े मैंने काटा है

    सुन कर मेरी बात चिरैयाँ,
    होकर उदास बैठी रही।
    अपने आँख में आँशू भरके,
    आँगन से उड़ कर चली गई।
    Thanks for reading 📝
                      Ashok Kumar


No comments:

Post a Comment