कविता
।। उदास चिरैंयाँ चली गई ।।
एक चिड़िया कुछ दिन के बाद,
मेरे घर में जब आ गई।
पुछी जिस पर बैठी करती थी,
आँगन का वो पेड़ कहाँ गई।
अपने घर के सभी बडों ने,
मझे बहुत ही डॉटा है।
जिस पर तुम बैठी करती थी ,
उस पेड़े मैंने काटा है ।
सुन कर मेरी बात चिरैयाँ,
होकर उदास बैठी रही।
अपने आँख में आँशू भरके,
आँगन से उड़ कर चली गई।
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Ashok Kumar ✍
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