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Tuesday, October 9, 2018

कविता ।।ठहरो -ठहरो तितली रानी ।।















ठहरो-ठहरो तितली रानी ,
  तुम तो सारा दिन फिरती हो।
  कानों में बता दो मेरे की ,
  तुम हवा में कैसे उड़ती हो।


         इस फूल से इठला के गई,
         उस फूल पर जा के उड़ती हो।
         बड़े-बड़़े फुलवारी में ,
         तुम कैसे अकेली घूमती हो।

  तुम्हें नहीं डर लगता  की,
  तुम बाग में अकेली हो।
  क्या तेरा दिल करता नहीं ,
  तेरा भी कोई सहेली हो।

  Thanks for reading 📝
                    Ashok Kumar

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