ठहरो-ठहरो तितली रानी ,
तुम तो सारा दिन फिरती हो।
कानों में बता दो मेरे की ,
तुम हवा में कैसे उड़ती हो।
इस फूल से इठला के गई,
उस फूल पर जा के उड़ती हो।
बड़े-बड़़े फुलवारी में ,
तुम कैसे अकेली घूमती हो।
तुम्हें नहीं डर लगता की,
तुम बाग में अकेली हो।
क्या तेरा दिल करता नहीं ,
तेरा भी कोई सहेली हो।
Thanks for reading 📝
Ashok Kumar ✍
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