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Part 1
दिल चाहे मैं खूब लिखूँ ।
और लिखूँ बस लिखने का ।।
कलम पकड़ के,कलम से ।
शब्दों से शरारत करने का ।।
एक दिन चलते हुए कागज पर ।
मेरा कलम जब रुक गया ।।
तब मैंने पूछा क्या हुआ ।
बोला मेरा स्याही सूख गया।।
मेरा पेट स्याही के बिना सुखा है ।
अपुन काफी देर से भुखा है ।।
इस हाल में मुझे चलाओगे ।
मुझसे कागज फरवाओगे ।।
भूखा रहने का न ऐसे सजा दो ।
हो सके तो,मुझे भी खिलादो ।।
कुछ और नहीं तो चार बूँद ।
सियाही ही पिला दो ।।
मेरा पेट भर जाएगा ।
आज का दिन निकल जाएगा।
मैंने कहा ,
ऐ कलम तुम खुद को ।
इतना कमजोर बताता है ।।
तुम्हें कागज पर चलाके बच्चा ।
डॉक्टर इनजिनयर बन जाता है ।।
कलम बोला ,
मेरी मेहनत ,मेरी कमाई से ।
मेरी लिखाई से डिगरी लेता है ।।
सियाही खत्म होने के बाद ।
मुझे सड़क पर फेक देता है ।।
पहले मैं कितना मचलता था।
हर जगह कागज पर ।।
मैं ही चलता था।।
और मेरे बिना किसी का ।
दाल ही नहीं गलता था ।।
Read part 2 nd
also
।। कलम का दर्द ।।
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Ashok
Kumar✍
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