।। कलम का दर्द ।। part 1


 











       ✍✍

        Part 1


   दिल चाहे मैं खूब लिखूँ
  और लिखूँ बस लिखने का ।।
   कलम पकड़ के,कलम से
  शब्दों से शरारत करने का ।।
     
        एक दिन चलते हुए कागज पर
        मेरा कलम जब रुक गया ।।
        तब मैंने पूछा क्या हुआ 
        बोला मेरा स्याही सूख गया।।

   मेरा पेट स्याही के बिना सुखा है
   अपुन काफी देर से भुखा है ।।
   इस हाल में मुझे चलाओगे
   मुझसे कागज फरवाओगे ।।
     
       भूखा रहने का ऐसे सजा दो
        हो सके तो,मुझे भी खिलादो ।।
        कुछ और नहीं तो चार बूँद
        सियाही ही पिला दो ।।
   
       मेरा पेट भर जाएगा
       आज का दिन निकल जाएगा।

     मैंने कहा ,

    कलम तुम खुद को
    इतना कमजोर बताता है ।।
    तुम्हें कागज पर चलाके बच्चा
    डॉक्टर इनजिनयर बन जाता है  ।।
   कलम बोला ,
     
        मेरी मेहनत ,मेरी कमाई से
        मेरी लिखाई से डिगरी लेता है ।।
        सियाही खत्म होने के बाद
        मुझे सड़क पर फेक देता है ।।

   
पहले मैं कितना मचलता था।
    हर जगह कागज पर ।।
    मैं ही चलता था।।
    और मेरे बिना किसी का
    दाल ही नहीं गलता था ।।

   Read part 2 nd also
   ।।  कलम का दर्द ।।
   Thanks for reading  📝
                    Ashok Kumar

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