।। रोज
कहाँ तुम जाती हो ।।
तुम दूर से ही चहचाती हो ।
मेरे घर में
क्यों नहीं आती ,
रोज कहाँ तुम जाती हो ।
मैं चिड़याँ मेरा क्या बच्चों,
मैं उड़ती शोर मचाती हूँ ।
दिल चाहे मेरा जिस डाली पर ,
उस पर मैं बैठ जाती हूँ
।
तिनका रखने का जगह नहीं,
मुझे रहने को तुम बुलाती हो ।
ऐसा है तो अपने घर में तुम
एक पेड़ क्यों न लगाती हो ।
तब आके रहूँगी तेरे घर ,
और खेलूँगी तेरे साथ में ।
तेरे घर में मैं चहचाउगी ,
अपने बच्चों के साथ में ।
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Ashok Kumar ✍
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