।। विद्यार्थी और मोबाइल ।।
जहां देखो विद्यार्थी मोबाइल पर,
गर्दन लटकाए रहते हैं।
सिलेबस के बुक बंद करके,
फेसबुक खोल कर बैठे हैं।
ये भी पढें :-
।। मासूम, गरीबी ,और लाचारी ।। कोई तो सुनो दर्द हमारी।। मगर ऐसा कभी देखा है ।।
माँ तू भगवान के हाथों की
सर पर एक्जाम होता है,
लगे रहते हैं कन्वर्सेशन में।
लंच में समय बिताता है,
नए नए एप्लीकेशन में ।
अब तो सभी की आदत,
बदल गया है गपशप के।
खुल कर घंटों बातें सब,
करता है व्हाट्सएप पे ।
कितना मैसेज तुम्हें किया,
यार कहां तुम रहते हो।
क्या बात है कुछ दिन से,
तुम ऑनलाइन नहीं होते हो।
क्या बताऊं यार तुम्हें,
अपुन कितना तंग हुआ है।
चार दिन पहले ही मेरा,
रिचार्ज खत्म हुआ है ।
अब तो मोबाइल के बिना,
खाना भी नहीं पचता है।
किसी का स्क्रीन टूटा है,
किसीका टच नहीं चलता।
क्या करें मोबाइल की अब,
आदत ऐसी पर गई।
कम नंबर आए तो कहता है,
मेरा पेपर बकरी चड़ गई ।
Thanks for reading 📝
Ashok Kumar ✍
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता
आपको कैसी लगी हमको कमेंट करके जरुर
बताए और इस आर्टिकल को सोशल मीडिया
पर शेयर करना और फॉलो ना भूले 🙂
अपना बहमूल्य समय देने के धन्यवाद।
आपको कैसी लगी हमको कमेंट करके जरुर
बताए और इस आर्टिकल को सोशल मीडिया
पर शेयर करना और फॉलो ना भूले 🙂
अपना बहमूल्य समय देने के धन्यवाद।
No comments:
Post a Comment