।। अकेली उदास रोती हो ।।


।। अकेली उदास रोती हो ।।

  








तितली क्यों फूल छोड़ के,
पत्ते पर उदास बैठी हो।
कही मेरी तरह तुम भी ,
अकेली उदास रोती हो।
     
     न मुझे कोई गोद उठाता,
     न मेरी कोई सहेली है ।
     लगता है मेरी तरह,
     तुम भी तो नहीं अकेली है ।

 खुश रहो उड़ो हवा में ,
 यह न सोचो अकेली हो।
 हो गई आज से मैं तेरी,
 और तुम मेरी सहेली हो।
     सुबह निकलती हो फुलवारी में,
     हमें भी तुम बुलाया करो।
     जब न लगे दिल तेरा अकेले,
     मेरे घर आ जाया करो ।
           
         

     Thanks for reading 📝

            Ashok aKumar 




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