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Thursday, January 10, 2019

।। कल कल बहती मंदाकिनी ।।


  । कल कल बहती मंदाकिनी ।।








  हरे भरे हैं पेड़ खड़े ,
  कल कल बहती मंदाकिनी।
  पत्तों को रगड़ के बहे पवन,
  घुन घुन गाते रागनी।

        चट्टान के छातीपर चढ़ के,
        झरना  भी  गीत  गाए।
        नदी  के  दोनों  किनारा,
        लहरों  को  पास  बुलाए ।
  
   कोयल  की मीठी  बोली,
   जब  कानों  से  टकराए।
   पंछी भी उड़ते इधर-उधर,
   सब गाए  और  चह चाए।

       काले बादल को खींच के,
       पर्वत भी  ओढ़  लिया है।
       देख देख ये  हरे घास पर,
       मोर  भी  नाच  उठा  है। 

    Thanks for reading 📝
               Ashok Kumar
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