।। हम लिपटे हैं तिरंगे में ।।
हम शहीद हुए वतन पे,
हम शहीद हुए वतन पे,
वतन रो रहा है
हम लिपटेे हैं तिरंगे
में,
कफन रो रहा है ।
ना हो उवाल ठंडा लहू का,
ना बदले की आग बुझे छाँती में।
जहां पर मुझ पर हमला किया,
अब तक है लहू वहां
माटी में।
रह ना जाए
बाकी अब,
चाहे कोई अगला पिछला
हो।
यही है मौका अब तुम
सब,
सारे हमला का बदला
लो।
अब चाहे जैसे खत्म करो,
कहानी रोज-रोज घुसपैठ का।
अब एक-एक करके बदला लो,
तुम सारे विस्फोट का
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Ashok Kumar ✍
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