।। लीची नन्ही सी जान को।।
नेताओं ने बता दिया ,
है अपनी पहचान क ।
हम लीची को बदनाम किया,
एक नन्हीं सी जान को।
अब तो लोग
लीची के,
ठेला देख डर जाते हैं ।
लीची खाना
तो दूर अब ,
लीची छूने
से कतराते हैं ।
मेरा रंग गुलाबी मनमोहक,
लौह तत्व रस से भरी हूं ।
मुझे अगर खाए रोगी ,
दुर्बल में रक्त बढ़ा दूं।
अब तो मैं जहां पर ही हूं,
वहीं पर रह रही हूं।
डिब्बे में मैं पड़ी पड़ी,aaa
डिब्बे में सर रही हूं।
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Ashok
Kumar ✍
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