।। मां तेरी गोद के जैसा।।


।। मां तेरी गोद के जैसा।।
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मां तेरी गोद के जैसा,
कोई बिस्तर नहीं है।
है महंगी बिस्तर बहुत,
तेरी गोद का स्तर नहीं है।

     जब मैं तेरी गोद में,
     सर रख के लेट जाते थे।
     तू धीरे धीरे सर सहलाती,
     तब मजे से हम सो जाते थे।

ना नींद है महंगी बिस्तर में,
ना तेरे गोद के जैसा सुख है।
क्यों इतनी जल्दी बड़े हुएं ,
इस बात का हम को दुख है।

      दौड़ के तेरे तन से लिपट कर,
      आंचल में तेरे छुप जाते थे।
      हम जिद करते थे कितना,
      तुमको तब बहुत सताते थे।

मेरा बचपन बिखरा है अब तक,
मां तेरे इस आंगन में।
जी चाहे फिर से खेलूं,
मां तेरे गोद और आंचल में।
मां तेरे गोद और आंचल में।

Thanks for reading📝
        Ashok Kumar


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