।। है ना यही वो बूंद ।।
है ना यही वो बूंद,
जिसके लिए तरस रहा है।
कहीं पर बूंदा बूंदी तो,
कहीं पर बरस रहा है।
बहता सड़क खिसकता
पर्वत ,
यहां वहां अब दिखता
है,
नाला को भी देखो जहां,
अब नदी के जैसा दिखता
है।
एक ही जैसा हाल है,
यहां के हो या वहां के।
गली गली में नाव चल रहा,
पानी ले गया कार बहा के।
इस साल मानसून अरी बाबा,
हाय तौबा हाय तौबा।
हॉस्पिटल में मछली तैरे,
सड़क पर चल रहा नौका।
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Ashok
Kumar ✍
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