।।कॉलोनी चांद पर बएनागे।।
धरती के पानी से निपट लें ,
जो बनी है लोगों की जान पर।।
हम पानी के खोज में राकेट,
भेज रहे हो चांद पर।।
कहते हो चांद
पर जाकर हम,
एक नया इतिहास
बनाओगे।।
यहां धरती पर लोग है बेघर,
चांद
पर कॉलोनी बनाओगे।
बसे बसाए नगर डूबा है,
बसे बसाए नगर डूबा है,
और गांव बह रहा
है पानी में।।
जा रहे हैं पानी
की खोज में,
निर्जन और बंजर
भूमि में।।
बना गांव
नदी, शहर में झील,
अभी लोग कितना
मजबूर है।।
क्या करेंगे
उस पानी का जो,
हमसे कई लाखों
मिल दूर है।।
हमसे कई लाखों
मिल दूर है।
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Thanks for reading 📝
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Ashok Kumar ✍
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