।। हाय रे मानसून ।।
गली,गली में नदी बह रहा,
सड़क समुंदर हो गया।
कमर कमर भर पानी,
घर घर के अंदर हो गया।
बेडरूम में तैर रहा है,
किचन का सारा बर्तन।
मेडक सिटी मार रहा है,
कुकर के ऊपर चढ़कर।
कार बहा कर ले गया पानी,
दरवाजे पर नौव खड़ी है।
जहां कार चलती थी पहले,
वहां नौव अब चल रही है ।
गरज गरज कर झम झम बारिश,
मानसून का चल रहा खेल
है।
मुंबई जैसे महानगर में,
पानी में चल रहा रेल
है।
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Ashok
Kumar ✍
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