।। मम्मी मैं नहीं खेलना ।।
मम्मी मैं नहीं खेलना ।
अपने हमजोली में ।।
मेरा मन चाहे उड़ने को ।
चिड़ियों की टोली में ।।
कभी यहां पर कभी वहां पर ।
उड़ उड़ कर बैठूँ शोर करूं ।।
उड़ती जाऊं चिड़ियों के संग ।
सारा गगन में सैर करूं ।।
ना डर मम्मी पापा का ।
उनके डांट डपट का।।
अपनी मीठी बोली से मैं ।
दिल बहलाउं सबका ।।
पके आम अमरूद में चोंच ।
हम मार मार के खाएंगे ।।
हमें डर नहीं किसी का।।
चिड़ियों संग शोर मचाएंगे ।।
Thanks for reading 📝
Ashok Kumar✍
मम्मी मैं नहीं खेलना ।
अपने हमजोली में ।।
मेरा मन चाहे उड़ने को ।
चिड़ियों की टोली में ।।
कभी यहां पर कभी वहां पर ।
उड़ उड़ कर बैठूँ शोर करूं ।।
उड़ती जाऊं चिड़ियों के संग ।
सारा गगन में सैर करूं ।।
ना डर मम्मी पापा का ।
उनके डांट डपट का।।
अपनी मीठी बोली से मैं ।
दिल बहलाउं सबका ।।
पके आम अमरूद में चोंच ।
हम मार मार के खाएंगे ।।
हमें डर नहीं किसी का।।
चिड़ियों संग शोर मचाएंगे ।।
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