।। मुझे याद है दादी जब।।
मुझे याद है दादी जब ।
मुझसे मिलने आई थी।।
गले लगाकर कितना रोई ।
मुझे भी खुब रुलाई थी।।
बार-बार मुझे देखती ।
और गले लगाती थी।।
आंसू पूछती घड़ी घड़ी।
और चश्मा हटाती थी।।
डंडे पकड़ के चल चल के ।
मोटी गांठ हथेली में आई थी।।
दादी का हाथ पकड़ कर।
अपने गाल लगाकर रोई थी।।
वो काँपती खाली हथेली।
कितनी दुर्बल कलाई थी।।
मेरे लिए कुछ भी ना ला सकी।
वृद्धा आश्रम से आई थी।।
Thanks for reading📝
Ashko Kumar ✍
हमारी और भी कविताएं हैं पढ़ें ।
कोरोना, दादी माँ, माँ ,चिडैयाँ,
तितली , देश भक्ति,पर्यावरण,
दादाजी, विद्यार्थी, जल,हास्य व्यंग
पेड़, मानसून,गौरैया।
मुझे याद है दादी जब ।
मुझसे मिलने आई थी।।
गले लगाकर कितना रोई ।
मुझे भी खुब रुलाई थी।।
बार-बार मुझे देखती ।
और गले लगाती थी।।
आंसू पूछती घड़ी घड़ी।
और चश्मा हटाती थी।।
डंडे पकड़ के चल चल के ।
मोटी गांठ हथेली में आई थी।।
दादी का हाथ पकड़ कर।
अपने गाल लगाकर रोई थी।।
वो काँपती खाली हथेली।
कितनी दुर्बल कलाई थी।।
मेरे लिए कुछ भी ना ला सकी।
वृद्धा आश्रम से आई थी।।
Thanks for reading📝
Ashko Kumar ✍
हमारी और भी कविताएं हैं पढ़ें ।
कोरोना, दादी माँ, माँ ,चिडैयाँ,
तितली , देश भक्ति,पर्यावरण,
दादाजी, विद्यार्थी, जल,हास्य व्यंग
पेड़, मानसून,गौरैया।
No comments:
Post a Comment