।।मम्मी मुझे भी पर ला दो ना।।
मम्मी मुझेभी पर लादो ना।
मैं भी उड़ना चाहती हूँ।।
मैं भी चिड़ियों के संग ।
डाली डाली फिरना चाहती हूँ।।
इस घर से मैं उस घर में ।
उड़ कर जाना चाहती हूँ।।
सुबह उठाऊंगी चह चा के।
शाम को गाना चाहती हूँ।।
अपने रंग बिरंगी पर से।
मैं सबको लुभाना चाहती हूँ।।
अपनी मीठी बोली से मैं ।
सबको बुलाना चाहती हूँ।।
Thanks for reading 📝
Ashok Kumar ✍
हमारी और भी कविताएं हैं पढ़ें ।
कोरोना, दादी माँ, माँ ,चिडैयाँ,
तितली , देश भक्ति,पर्यावरण,
दादाजी, विद्यार्थी, जल,हास्य व्यंग
पेड़, मानसून,गौरैया।
मम्मी मुझेभी पर लादो ना।
मैं भी उड़ना चाहती हूँ।।
मैं भी चिड़ियों के संग ।
डाली डाली फिरना चाहती हूँ।।
इस घर से मैं उस घर में ।
उड़ कर जाना चाहती हूँ।।
सुबह उठाऊंगी चह चा के।
शाम को गाना चाहती हूँ।।
अपने रंग बिरंगी पर से।
मैं सबको लुभाना चाहती हूँ।।
अपनी मीठी बोली से मैं ।
सबको बुलाना चाहती हूँ।।
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कोरोना, दादी माँ, माँ ,चिडैयाँ,
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पेड़, मानसून,गौरैया।
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