।। चिड़याँ,चिड़याँ,ऐ चिड़याँ।।
क्यों नहीं हमें बताती हो।।
मेरे घरमें क्यों नहीं आती ,
रोज कहाँ तुम जाती हो।।
सुबह सुबह मेरे घर आकर,
क्यों नहीं अब चहचाती हो।।
हम सुबह सोते रहते हैं,
अब किसके घर गाती हो।।
तेरा वो चह चाना सच मुच,
याद बहुत तुम आती हो।।
आंगन में लगा देती हूं पेड़,
क्यों नहीं अब चहचाती हो।।
हम सुबह सोते रहते हैं,
अब किसके घर गाती हो।।
आके बैठी रहती चुप-चुप,
क्यों नहीं हमे बुलाती हो।।तेरा वो चह चाना सच मुच,
याद बहुत तुम आती हो।।
आंगन में लगा देती हूं पेड़,
आके रहना उसके साख पे।।
नित्य सुबह तुम चहचाना,
अपने बच्चों के
साथ में।।
विश्व गौरैया दिवस दिवस पर
Thanks for reading 📝
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Ashok
Kumar ✍
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