।। ऐसे बचो कोरोना से।।
क्या फायदा फिर पछताने,
और बाद के रोना-धोना से।।
खुद को घर में बंद कर लो,
और बचे रहो करोना से।।
जिसे करोना पकड़ा वो,
सीधे हॉस्पिटल जाता है।।
शायद ही किस्मत वाला,
हॉस्पिटल से घर आता है ।।
मौत का आंकड़ा बढ़ रहा,
निरंतर अपने भी देश में।।
जो है जहां वहीं रुके रहो,
अपनी अपने ही प्रदेश में।।
हो चाहे जहां का मान बढ़ाओ,
तुम अपने उस प्रदेश का।।
घर में बैठकर करो लड़ाई,
बनो सिपाही अपने देश का।।
Thanks for reading📄
Ashok Kumar ✍
हमारी और भी कविताएं हैं पढ़ें ।
कोरोना, दादी माँ, माँ ,चिडैयाँ,
तितली , देश भक्ति,पर्यावरण,
दादाजी, विद्यार्थी, जल,हास्य व्यंग
पेड़, मानसून,गौरैया
क्या फायदा फिर पछताने,
और बाद के रोना-धोना से।।
खुद को घर में बंद कर लो,
और बचे रहो करोना से।।
जिसे करोना पकड़ा वो,
सीधे हॉस्पिटल जाता है।।
शायद ही किस्मत वाला,
हॉस्पिटल से घर आता है ।।
मौत का आंकड़ा बढ़ रहा,
निरंतर अपने भी देश में।।
जो है जहां वहीं रुके रहो,
अपनी अपने ही प्रदेश में।।
हो चाहे जहां का मान बढ़ाओ,
तुम अपने उस प्रदेश का।।
घर में बैठकर करो लड़ाई,
बनो सिपाही अपने देश का।।
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कोरोना, दादी माँ, माँ ,चिडैयाँ,
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