।। मैं स्कूल जब जाऊं तो।।
स्कूल जब जाऊंतो ऐसा,
क्यों मेरे साथ हो जाता है।।
कभी मेरा पेंसिल, रबर,
कभी छापनर खो जाता है।।
क्या हो गया है मेरे याद को,
कहीं भी कुछ रख देती हूं।।
पेंसिल होता है मेरे हाथ में,
मैं घंटों ढूंढती रहती हूं।।
मम्मी भी डांटते है मुझे,
स्कूल क्या करने जाती है।।
पढ़ने को जाती है स्कूल में,
समान गुम करके आ जाती है।।
घर में रहूँ तो हल्ला गुल्ला,
स्कूल में रहती हूं शांत से।।
हर पीरियड में टीचर की ,
सब बातें सुनती हूं ध्यान से।।
हमारी और भी कविताएं हैं पढ़ें ।
कोरोना, दादी माँ, माँ ,चिडैयाँ,
तितली , देश भक्ति,पर्यावरण,
दादाजी, विद्यार्थी, जल,हास्य व्यंग
पेड़, मानसून,गौरैया ,बच्चों,
स्कूल जब जाऊंतो ऐसा,
क्यों मेरे साथ हो जाता है।।
कभी मेरा पेंसिल, रबर,
कभी छापनर खो जाता है।।
क्या हो गया है मेरे याद को,
कहीं भी कुछ रख देती हूं।।
पेंसिल होता है मेरे हाथ में,
मैं घंटों ढूंढती रहती हूं।।
मम्मी भी डांटते है मुझे,
स्कूल क्या करने जाती है।।
पढ़ने को जाती है स्कूल में,
समान गुम करके आ जाती है।।
घर में रहूँ तो हल्ला गुल्ला,
स्कूल में रहती हूं शांत से।।
हर पीरियड में टीचर की ,
सब बातें सुनती हूं ध्यान से।।
Thanks for reading📄
Ashok Kumar ✍हमारी और भी कविताएं हैं पढ़ें ।
कोरोना, दादी माँ, माँ ,चिडैयाँ,
तितली , देश भक्ति,पर्यावरण,
दादाजी, विद्यार्थी, जल,हास्य व्यंग
पेड़, मानसून,गौरैया ,बच्चों,
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