।। हम बच्चों में कितनी ।।. part 1
हम बच्चों में कितनी,
शरारत होते हैं ना।।
कभी मानी कभी नहीं मानी,
मम्मी पापा का कहना।।
कहे पढ़ाई करने को तो,
अभी मर्जी नहीं कह देना।।
कभी किसी के कहे बिना,
कई घंटों पढ़ते रहना।।
कभी कभी सवेरे उठ कर,
खुद ही पढ़ते रहना ।।
कभी उठाने से ना उठे,
और देर तक सोते रहना ।।
हम बच्चों में कितनी,
खुद ही पढ़ते रहना ।।
कभी उठाने से ना उठे,
और देर तक सोते रहना ।।
हम बच्चों में कितनी,
शरारत होते हैं ना।।
कभी मानी कभी नहीं मानी,
मम्मी पापा का कहना।।
कभी पकड़ के मोबाइल में,
गाना सुन लेते हैं ना।।
कभी लगा कर टीवी ,
उस पर कार्टून देखते रहना।।
हम बच्चों में कितनी,
शरारत होते हैं ना।।
कभी मानी कभी नहीं मानी,
मम्मी पापा का कहना।।
तुमसे अब बात नहीं करना,
ऐसा जिसको कह देना।।
अगले ही पल उनसे,
घंटों बातें करते रहना।।
ऐसा जिसको कह देना।।
अगले ही पल उनसे,
घंटों बातें करते रहना।।
हम बच्चों में कितनी,
शरारत होते हैं ना।।
कभी मानी कभी नहीं मानी,
मम्मी पापा का कहना।।
Thanks for reading📄
Ashok Kumar ✍
हमारी और भी कविताएं हैं पढ़ें ।
कोरोना, दादी माँ, माँ ,चिडैयाँ,
तितली , देश भक्ति,पर्यावरण,
दादाजी, विद्यार्थी, जल,हास्य व्यंग
पेड़, मानसून,गौरैया
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