।। हम बच्चों में कितनी।। part 2
शरारत होते हैं ना।।
कभी मानी कभी नहीं मानी,
मम्मी पापा का कहना।।
मान ली कभी बात कोई,
किसी बात को ना कर देना।।
कभी-कभी किसी बात पर ,
घंटों जिद करते रहना।।
कभी हमें कुछ दे कोई तो,
झट से उस से ले लेना।।
अभी किसी वस्तु के लिए,
कई घंटों ही रोते रहना।।
हम बच्चों में कितनी,
शरारत होते हैं ना।।
कभी मानी कभी नहीं मानी,
मम्मी पापा का कहना।।
कहे बाहर जाकर खेलो,
घर में शोर मचाते रहना ।।
कभी-कभी सारा दिन,
बच्चों में खेलते रहना।।
आओ हम दोनों खेलें,
हाथ पकड़ कर कहना।।
जिसके साथ घंटों खेला,
उससे ही झगड़ते रहना।।
हम बच्चों में कितनी,
शरारत होते हैं ना।।
कभी मानी कभी नहीं मानी,
मम्मी पापा का कहना।
हमारी और भी कविताएं हैं पढ़ें ।
कोरोना, दादी माँ, माँ ,चिडैयाँ,
तितली , देश भक्ति,पर्यावरण,
दादाजी, विद्यार्थी, जल,हास्य व्यंग
पेड़, मानसून,गौरैया ,बच्चों,
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Ashok Kumar ✍हमारी और भी कविताएं हैं पढ़ें ।
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