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Sunday, December 30, 2018

।। जिसे माँ कहा उसे ही काट दिया ।।


 ।।  जिसे माँ कहा उसे ही काट दिया ।।

fallen tree










 क्यों काटा है मुझको
 तेरा मानवता कहां है ।
 मेरे छांव में बैठ के कहा करता था,
 तुम ही मेरी मां है ।

    याद है तुमको जब तुम ,
    उदास हुआ करता था ।
    मेरे छांव में बैठकर घंटों ,
    मुझसे बात किया करता था ।
  
 जब तुम मेरे तन से ,
 लगके बैठा करता था ।
 मां के गोद में बैठा हूं ,
 तुम ऐसा कहा करता था ।
 
    मुझे याद है जब तुम,
    दुख को ढोया करता था ।
    क्या करूं मां मुझे कहकर ,
    कितना रोया करता था
    
तेरा  हालत  देख  के ,
मैं भी रोया करता था ।
थके थके मेरे छांव में ,
आकर सोया करता था ।

ये भी पढें :-
·         माँ तू भगवान के हाथों की  
·         ।। याद आया अपना बचपन ।।   


  तूफान से लड़के पवन के झोंको,
   को भी सहा करती थी ।
   खुद धूप में जल के में ,
   तुम्हें छांव दिया करती थी ।

मेरा तन सा खाता हवा में ,
कैसा मानव का सोच था ।
मेरा जड़ था धरती में समाया ,
मैं कहां  किसी पर बोझ था ।

   खत्म कर दिया उस रिश्ता को ,
   जो था सबसे बड़ा दुनिया के।
   उस पर ही कुल्हाड़ी चला दिया ,
   तुम जिसको मां कहते थे ।
                                           
तुम्हें नहीं मालूम तेरा,
कुल्हाड़ी कितना तीखा था।
तुने जितने वार किया मुझ पर ,
मैं उतनी बार चीखा था ।
            
  जड़ से मेरा तन अलग हुआ,
  और मैं गिरा धड़ाम से ।
  टूटा शाखा उड़ा सभी पंछी ,
  फिर मैं सो गया आराम से
               
मृत्यु मुकम्मल नींद है जिसमें जाग नहीं आता
    
 Thanks for reading 📝
          Ashok Kumar
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