।। ठहर 18 का दिसंबर ।।
ठहर ठहर 18 का दिसंबर,
कहां भाग रहा है मेरे घर से ।
लगता है तु घबराया है ,
आने वाला 19 के डर से।
काम बहुत करना बाकी है,
फंसा हुआ है बीच में
।
जाने
दो मुझे बाकी काम को ,
तुम कर लेना 19 में।
बहुत रुलाया है तुमने,
तेरा निंदा करेंगे जी भर के।
तेरे कारण ही देख 18,
ये हाल हुआ मेरे घर के।
17 भी तो आकर गया ,
उसे तो कोई नहीं रोका।
तेरा जो हाल हुआ इसमें,
तेरा कोई गलती होगा।
Thanks for reading 📝
Ashok Kumar ✍
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता
आपको कैसी लगी हमको कमेंट करके जरुर
बताए और इस आर्टिकल को सोशल मीडिया
पर शेयर करना और फॉलो ना भूले 🙂
अपना बहमूल्य समय देने के धन्यवाद।
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