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Saturday, January 5, 2019

।। सब से अच्छा घर बना अपना ।।


।। सब से अच्छा घर बना अपना ।।





















सब से अच्छा घर बना अपना,
वो है तो मेरा मौसी।
बड़ी बड़ी आंखों से कैसे,
देख  रही  है  पड़ोसी ।
        
         खुद तो सारा दिन रहती है,
         दूसरे चिड़ियों  के  बात पे ।
         डाली डाली उड़ती रहती है,
         कई चिड़ियों के साथ में ।


दूसरों का अच्छा देखकर,
खुशी कहां किसी को होती है
जहां भी देखो पड़ोसी को,
      हमने मेहनत इतना किया कि,
      पड़ोसी को खोल गया।
      उड़ उड़ के हजारों तिनका लाया,
      ऐसे तो नहीं घर बन गया।

      Thanks for reading 📝
                    Ashok Kumar

  
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता 
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