।। आया ऋतुराज बसंत।।
आया ऋतुराज बसंत,
हुआ पतझड़ का अंत।
डाली पर नई-नई कोपलें ,
हर ओर फुल खिलंत
।
आया ऋतुराज बसंत,
आया
ऋतुराज बसंत,
इतराए तितली फूलों पर,
पंछी किलोल
करंत ।
कौवा
भी बैठ के डाली पर,
अपना
लोल आफ करंत ।
आया ऋतुराज बसंत,
अमूआं
की डाली मजरा है
और सारे खजूर फुलंत ।
कोयल
कुके घड़ी घड़ी,
डाली
पर लुक्खी कुदकंत ।
आया ऋतुराज बसंत,
आया ऋतुराज बसंत,
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आठ दस दिन से कौवा का,
है चाल चलन बिगरंत ।
पीके खजूर का तारी ,
गटारी मैंना को छेरंत ।
आया ऋतुराज बसंत,
आया ऋतुराज बसंत,
मधुमक्खियों की भिन-भिन,
भंवरा घून घुन गावंत।
फूलों की क्यारी में,
तितली के साथ फिरंत।
आया ऋतुराज बसंत,
आया ऋतुराज बसंत,
उल्लू देखें टुकुर-टुकुर,
कठफोड़वा
देख मगंत,
पेड़
के डाली से लटक के,
बंदर
झूला झूलंत ।
आया ऋतुराज बसंत,
आया ऋतुराज बसंत,
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Ashok Kumar ✍
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