।। अभी नहीं फल का मौसम ।।
अभी नहीं फल का मौसम,
भोजन
को ढूंढती रहती हूं।
जो भी
मिले फल जहां कहीं,
मैं
खा के पेट भर लेती हूं।
हां इसमें वह स्वाद
नहीं,
वो दूसरे फल की जैसी।
कितने दिन से इसको ही,
खा रही है मेरा पड़ोसी।
बच्चे मेरे बड़े हो
गए,
बच्चों का फिक्र नहीं।
तभी तुम्हें भोजन के लिए,
कभी-कभी भूखी
रहती हूं,
वो सब भी भूखा रहता।
बच्चों को पालना इस मौसम में,
कितना मुश्किल होता।
Thanks
for reading 📝
Ashok Kumar ✍
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता
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अपना बहमूल्य समय देने के धन्यवाद।
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