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Wednesday, January 2, 2019

।। मम्मी मम्मी मैं तितली को ।।

।। मम्मी मम्मी मैं तितली को ।।









मम्मी मम्मी मैं तितली को ,
ले आई अपने साथ में ।
फूल के ऊपर बैठी थी,
     बेटी तितली उड़ती फिरती,
     अच्छी लगती है बाग में ।
     इसके पर कोमल होते हैं ,
     इसे कभी न पकड़ो हाथ में 

अगर कहीं तुम्हें दिख जाए,
उड़ती तितली बाग में ।
दूर-दूर से देखो खेलो ,
तुम भी उसके साथ में

     अच्छा मम्मी अब तितली को ,
     पकरूँगी नहीं कभी हाथ में ।
     मैं जाती हूँ अभी छोड़ के ,
     आती हूँ इसको बाग में ।
         
         Thanks for reading 📝
                    Ashok Kumar
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता 
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