।। मम्मी
मम्मी मैं तितली को ।।
मम्मी मम्मी मैं तितली को ,
Thanks for reading 📝
मम्मी मम्मी मैं तितली को ,
ले आई अपने साथ में
।
फूल के ऊपर बैठी थी,
पकड़ लिया मैंने हाथ में
इन्हें भी पढ़िये :-
बेटी तितली उड़ती फिरती,
अच्छी लगती है बाग में ।
इसके पर कोमल होते हैं ,
इसे कभी न पकड़ो हाथ में ।
अगर कहीं तुम्हें दिख
जाए,
उड़ती तितली बाग में
।
दूर-दूर से देखो खेलो
,
तुम भी उसके साथ में
अच्छा मम्मी अब तितली को ,
पकरूँगी नहीं कभी हाथ में ।
मैं जाती हूँ अभी छोड़ के ,
आती हूँ इसको बाग में ।
Thanks for reading 📝
Ashok Kumar ✍
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता
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अपना बहमूल्य समय देने के धन्यवाद।
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