।। तन पे ना हो तिरंगे का कफन।।


 ।।  तन पे ना हो तिरंगे का कफन।।








 अगर मर जाऊं अपने वतन के लिए,
 देश का सिपाही होने का  हक देना।
 मेरे तन पे न हो तिरंगे  का कफन,
 तन को वतन की मिट्टी से ढक देना।
   अगर मर जाऊं अपने वतन के लिए,
   देश का  सिपाही होने  का हक देना।

 मन में  है  तिरंगा  पहले से,
 मेरे तन पर तिरंगा मत देना।
 चंदन की चाह नहीं वतन के,
 मिट्टी  से  तिलक  कर  देना।
   देश का सिपाही होने का  हक देना।
   मेरे तन पे न हो तिरंगे  का कफन,
   तन को वतन की मिट्टी से ढक देना।   

 ना  फूल  से  सजाना ,
 ना फूलों का हार देना।
 मेरी अर्थी को वतन की,
 मिट्टी से सिंगार कर देना।
   देश का सिपाही होने का हक देना।
   मेरे तन पे न हो तिरंगे का कफन,
   तन को वतन की मिट्टी से ढक देना।
 मेरे तन पर वतन की धूल है
 इसे गंगा जल  से मत धोना
 मैं फिर आऊंगा वतन के लिए
 ये वर्दी  मेरा तुम रख  देना
   देश का सिपाही होने का  हक देना।
   मेरे तन पे न हो तिरंगे  का कफन,
   तन को वतन की मिट्टी से ढक देना।
 
  Thanks for reading 📝
              Ashok Kumar

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