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Thursday, January 3, 2019

।। मगर ऐसा कभी देखा है ।।


 ।। मगर ऐसा कभी  देखा है ।।











देखा तो होगा तुमने बहुत,
मगर ऐसा कभी  देखा है।
देखो मेरे हाथ पर आकर ,
चार चार तितली बैठा है।
  
       कई रंग बिरनगो वाली,
       तुम सभी  का  पर  है।
       जंगल झाड़ी में रहकर तुम,
       दिखती  कितनी  सुंदर  है।


 आज हम सब सारा दिन,
 साथ  साथ  रहेंगे।
 जी भर के हम तुम्हें देखेंगे,

        क्यों न दिखे सुंदर तुम,
        सारा दिन उड़ती रहती है।
        हर समय तुम प्राकृतिक के,
        संपर्क :में  जो रहती  हो ।
       
       Thanks for reading 📝
                    Ashok Kumar
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता 
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