।। दिवाली का धुआं पचा नहीं ।।


।। दिवाली का धूआं पचा नहीं  ।।









दिवाली का धूआं पचा नहीं,
नव वर्ष का धूआं परोस दिया।
सांसो  में  अफरा-तफरी ,
और गले में खरांश दिया ।

         इस जहरीली धूआं से अब, 
         जान  बचा  रहा  हूं ।
         पेट में खाना कम।
         फेफड़े से धूआं पचा रहा हूं।
.
  अब वो स्वाद नहीं रहा,
  धूल मिट्टी और डस्ट में।
  फिर से धूआं खाने को मिला है ,
  लंच  और  ब्रेकफास्ट  में ।

        पानी के जगह अब हम,
        धूआं पीके प्यास बुझाते हैं।
        सुबह नाश्ते में हम धूआं ,

  
   फिर वही पटाखे का धूआं,
   लाखों टर्न हवा में डाल दिया।
   फिर से नाक और मुंह पर ,
   सबने कपड़ा बांध लिया ।
 
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               Ashok Kumar
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