।। छोटी चिरैयाँ कहाँ गई थी ।।
छोटी चिरैयाँ कहाँ गई थी ,
अपने
पर फैलाई हो ।
चीं-चीं करके
किसे बुलाती,
मुहँ में क्या दबाई हो ।
इन्हें भी पढ़िये :-
- क्यों नहीं आती मेरे घर
- दिल करता है मेरा मैं
- माँ तू भगवान के हाथों की
- लकड़ी चोर मुर्दा
- आज वर्षो बाद फिर ।शहर में दंगा भरका है ।
क्या
तेरे बच्चे हैं
भूखे ,
इसी
लिए कुछ लाई
हो ।
हमें भी कोई
गीत सुनाओ ,
सबके मन को
भाइ हो ।
मेरे आँगन में आई हो ।
Thanks for reading 📝
Ashok Kumar✍
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता
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अपना बहमूल्य समय देने के धन्यवाद।
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Beautiful line
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