।। दादी को पोते से ऐसा प्यार।।
मेरी माँ का दो पोता है,
एक जागता है एक सोता है ।
एक जब होता दादी के गोद,
दूसरा देखके खूब रोता है।
एक जब कभी सोया रहता ,
दूसरे को दादी प्यार करे।
सो कर उसको उठने का,
दूसरा भी इन्तेजार करे।
दोनों दादी के गोद में,
जाने के लिए लड़ता है।
एक को प्यार करे दादी तो,
दूसरा दादी से झगड़ता है।
जब दोनों जागा होता है,
जब दोनों जागा होता है,
शोर शराबा हल्ला गुल्ला।
जैसे की मेरे घर में ,
घुस आया पूरा मोहल्ला।
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बाथ रूम में घुसे नहाने,
बाहर आने का नाम न ले।
जब तक बंद न हो नलका,
तब तक पानी से खेले।
एक खिलौना अगर कहीं,
जिस दिन घरमें कोई लाता है।
जिसके हाथ में हो खिलौना,
समझो उसका हो जाता है।
एक खेलते -खेलते कहीं ,
बैठे -बैठ ही सो जाता है।
एक को नींद इतना आए,
खड़े -खड़े गिर जाता है।
दादी का हाथ पकड़ के,
दोनों बोले बाहर जाने को।
सारा -सारा दिन घड़ी -घड़ी,
माँगे दोनों चीजी खाने को।
जब दोनों बाहर जाता कभी,
दादी घर में अकेली होती है।
दोनों पोते को करके याद ,
दादी अकेली खबु रोती है।
दादी अकेली खुब रोती है।
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Ashok kumar ✍
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